अब अजमेर दरगाह में शिव मंदिर होने का ठोका दावा | याचिका स्वीकार, जानिए अब क्या होगा।

 


देश में मस्जिदों पर मंदिरों वाले दावे का सिलसिला थमता नज़र नहीं आ रहा। मस्जिद में सर्वे के दौरान संभल में हुई हिंसा की आग अभी ठंडी भी नहीं हुई, कि अजमेर दरगाह में शिवमन्दिर का दावा ठोक दिया गया। दरअसल के ये याचिका हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से लगाई गई है। जिसके बाद कोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार भी कर लिया। 

 दरअसल अजमेर की ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में संकट मैचन महादेव मंदिर होने का दावा किया गया है और इसी से जुड़ी याचिका कोर्ट में लगाई गई। जिसके बाद अजमेर सिविल कोर्ट ने इसे स्वीकार भी कर लिया। बुधवार को अदालत ने इसे सुनने योग्य माना है। सिविल कोर्ट ने अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी अजमेर और एएसआई को नोटिस भेजा और इस मामले पर 20 दिसंबर को अगली सुनवाई होगी। 


अब आपको बताते हैं की मस्जिद के शिव मंदिर होने का दावा किन दस्तावेजों के आधार पर किया गया। 

दरअसल पूर्व जज हर बिलास शारदा की किताब अजमेर हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव में इसका जिक्र है। भारत में सूफीबाद किताब में इसका जिक्र है। याचिका में, रिटायर्ड जज हरबिलास शारदा की 1911 में लिखी किताब अजमेर हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव का भी हवाला दिया गया है। इस किताब में जज ने मौजूदा इमारत में 75 फीट ऊंचे बुलंद दरवाजे के निर्माण में मंदिर के मलवे के अंश बताए थे। इसमें एक तहखाना या गर्भगृह है। जिसमें शिवलिंग बताया गया था। किताब के अनुसार यहां ब्रह्मांड परिवार पूजा अर्चना करता था। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने बताया कि - आप अजमेर दरगाज के आसपास घूमेंगे तो देखेंगे कि बुलंद दरवाजे पर हिंदू परंपरा की नक्काशी की गई है। वहीं। जहां शिव मंदिर होता है वहां झरना पेड़ जरूर होते हैं और पानी तो और भी जरूर होता है। ऐसे में पुरातत्व विभाग से अपील की गई है कि वो यहां जांच करें। मामले पर वकील रामस्वरूप विशनोई ने बताया कि कोर्ट में 31 पेज की याचिका दाखिल गई है। जिसमें कहा गया है कि ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर है। दरगाह की बनावट और शिव मंदिर प्रमाण के सम्बन्ध में भी सबूत पेश किए गए हैं। याचिका में दरगाह परिसर का ASI से सर्वे कराने की अपील है। जिसमें दरगाह कमेटी अल्पसंख्यक मंत्रालय और पुरातत्व विभाग को पक्षकार बनाया गया। दरगाह कमेटी से क्षेत्र में किए निर्माण को अवैध बताते हुए कब्ज़ा हटाने और मंदिर में पूर्व अर्चना का अधिकार दिलाने की मांग की गई। हिंदू सेना की तरफ से एडवोकेट स्वरूप विशनोई और इश्वर सिंह ने बहस की ।

बता दें कि राजस्थान के अजमेर स्थित दरगाह भारत के पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक मानी जाती है। परसिया से आए सूफी संत ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की समाधि यहीं पर है। ख़्वाजा साहब की धर्मनिरपेक्ष शिक्षाओं के कारण ही इस दरगाह में सभी धर्मों, जातियों और आस्था के लोग आते हैं। अब इस मामले के बाद एक फिर माहौल सकता है। 

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