ब्लॉक कुंदरकी में खास गुलर चौराहे पर दो दिन से एक बंदर जख्मी पड़ा था। आज मेरी अचानक उस पर निगाह पड़ गई। उसके समीप जाने पर दिखाई पड़ा कि उसके बिजली का करंट लगा है। जिससे वो कई दिनों से इस दर्द से जूझ रहा था। मैंने उनकी सहायता करने को उसकी ओर अपने हाथ बढ़ाए तो वो काटने को दौड़ रहा था। मैंने सोचा क्यों न पशु चिकित्सा हेल्पलाइन पर कॉल किया जाए। मैंने कई नंबर लगाने का प्रयास किया किंतु की नंबर नहीं लग पाया। फिर मैंने पुलिस हेल्पलाइन नंबर 112 पर संपर्क किया। पुलिस प्रशासन मिनटों में ही मेरे पास आ गया। उन्होंने उसकी हालत देखी और बोलो बेटा आप पशु चिकित्सा हेल्पलाइन पर ही संपर्क करें। वही लोग इसकी और आपकी मदद करेंगे। मैने कहा सिर नंबर लगाने का प्रयास कर चुका हूं लेकिन कोई नंबर लग नहीं रहा। फिर वो बोलो यहां के पशु चिकित्सालय में जाइए वहां से शायद आपकी कोई सुने और इसका उपचार करें। मैं उन्हें पर उसकी रखवाली पर छोड़ कुंदरकी के पशु चिकित्सालय में आया। मैंने उन्हें सारी घटना से अवगत कराया और मदद मांगी। लेकिन उन्होंने मुझसे कह दिया अब यही तो काम रहा गया है हमारा की गली -चौराहे पर जाकर जानवरों का उपचार करते फिरे। मैंने कहां सर बिल्कुल करेंगे आप , क्योंकि आपकी यह ड्यूटी का हिस्सा है। लेकिन उन्होंने मुझे टाले वाले बताकर वहां से भगा दिया। मैं वापस आया और जो 112 गाड़ी के जो पुलिस कर्मी जिन्हें बंदर के पास छोड़कर गया था मैंने चिकित्सालय की सारी बात उन्हें बताई। फिर उन्होंने मुझे एक नंबर बताया पशु चिकित्सा भिवाग का मैंने उस पर संपर्क किया। उन्होंने सारी घटना पूछी और पास के की चिकित्सालय केंद्र के कर्मचारी मेरे पास भेज दिए। वही कर्मचारी जिन्होंने मुझे भगाया था। आपको फोटो में साहब दिख भी रहे होंगे। वो मुझसे कहते हैं आप तो एकदम ही भाग आए। अपने सुना तो है नहीं हम आवाज़ देते रह गए आपको। मैंने थोड़ा मुस्कराकर कहा अच्छा माफ कीजिए मैं शायद बहरा हूं जो आपकी आवाज़ नहीं सुन पाया। मुझसे उनके हाव भाव देख कर लगा इन्हें गुस्सा भी आ रहा है और शायद अपनी गलती का पछतावा भी हो रहा है। खैर !
पशु चिकित्सक मुझे चलो पकड़ो इसे स्वास्थ्य केंद्र लेकर चलो। मैं बोला सर अब आप आए हैं तो इसे आप ही पकड़ भी लिए क्योंकि आप पशु चिकित्सक हैं।
आपको अनुभव होगा कि किसी ज़ख्मी जानवर को किस प्रकार पकड़ना हैं। उन्होंने बुरा सा मुंह बनाया और वो पीड़ित बानर पकड़ लिया । पुलिस कर्मियों ने उसके लिए ई रिक्शा बुलवाया। उसमें रखा और ले गए पशु स्वास्य केंद्र । आप पास के लोगों ने हमें काफी सराहना दी। पुलिस कर्मी बोलो बहुत बढ़िया बेटा आपने अच्छा किया। हमने भी कह दिया अरे नहीं ये तो आपके बिना कहां हो पाता। इतना कहकर हम भी अपनी ड्यूटी निभाकर वहां से चले आए ।
तो देखा दोस्तों आपने , किसी भी व्यक्ति ने उसकी मदद करने की तो सोची नहीं , बस हमसे कह दिया कि अपने बहुत अच्छा काम किया। ये कहने की बजाए आप लोग भी तो ये अच्छा काम कर सकते थे। नहीं लेकिन ऐसे फटे में पैर कौन ही डालना चाहता है भला। अब हम ठहरे पत्रकारीय के विद्यार्थी हमें। हम भला कैसे रुक सकते थे।
चलिए कोई न ,आज के लिए इतना ही मिलते किसी और दिन।