अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच बिल्मोर अन्य दो अंतरिक्ष यात्रियों के साथ स्पेस एक्स के ड्रेगन कैप्सूल से धरती पर लौट आए है।
बीते साल जून में महज 8 दिनों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर गए ये दोनों एस्ट्रोनॉट 9 महीनों बाद लौट पाए हैं। बोइंग का जो स्टरलाइनर यान उन्हें वापस धरती पर लाने वाला था वो ख़राब हो गया था इसलिए उन्हें इतना लम्बा इंतजार करना पड़ा।
उन्हें आखिरकार एलन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स के ड्रैगन कैप्सूल ने फ्लोरिडा के तट पर सुरक्षित रूप से उतारा।
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से यान को धरती पर पहुंचने में 17 घंटों का लम्बा वक्त लगा।
जानिए कैसी थी ये यात्रा और कैप्सूल को धरती पर उतरने के सफ़र में क्या क्या हुआ ।
पैराशूट खुला और फिर स्प्लैशडाउन
भारतीय समय अनुसार बुधवार तड़के 3 बजकर 27 मिनट पर 4 अंतरिक्ष यात्रियों को लाने वाला कैप्सूल फ्लोरिडा के तट के पास समुद्र में उतरा।
समुद्र की सतह पर आने के बाद कंट्रोल सेंटर की ओर से अंतरिक्ष यात्रियों का स्वागत करते हुए कहा गया।
निक, एलेक, बुच, सुनी.... स्पेस एक्स की ओर से घर वापस आने का स्वागत है।
कमांडर निक हैक ने खुशी जाहिरकरते हुए जवाब दिया कैप्सूल में सभी के चेहरे पर मुस्कुराहट है ।
स्प्लैशडाउन से ठीक पहले क्या हुआ?
पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते समय ड्रैगन कैप्सूल की रफ़्तार 17000 मील प्रति घंटा थी । जिसे कुछ मिनटों के अंतराल पर तेज़ी से धीमा किया गया।
2000 डिग्री का तापमान और हीट शील्ड, कितना ख़तरनाक था ये सफ़र?
वायुमंडल में प्रवेश के बाद अंतरिक्ष यान के प्लाज़्मा शील्ड का ताममान 1927 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। लेकिन हीट शील्ड सवार अंतरिक्ष यात्रियों को इतनी तेज़ गर्मी से बचाने में मददगार साबित हुई। करीब 3 बजकर 21 मिनट पर
अंतरिक्ष यान ऑटो नोमस यानी स्वचालित हो गया था। यानी अंतरिक्ष यात्री इसे नियंत्रित नहीं कर रहे थे। इस दौरान उनके सामने लगे। सच स्क्रीन पर वो सारी गतिविधियों को देख पा रहे थे। करीब 3 बजकर 24 मिनट पर ड्रैगन कैप्सूल के पहले दो पैराशूट खुले जिससे इसकी रफ़्तार और धीमी हो गई। इस दौरान एक जोर का झटका लगा और कैप्सूल की रफ़्तार फिर से और धीमी हो गई। इसके बाद दो और पैराशूट खुले।
समंदर में उतरने के बाद क्या हुआ?
जिस समय कैप्सूल समंदर में उतरा उसके ठीक बाद ही पानी में कैप्सूल के चारों ओर डॉल्फिन चक्कर लगाती हुई तैरती दिखी।
मौके पर मौजूद रिकवरी टीम फास्ट बोट से कैप्सूल तक पहुंची और पहले सुरक्षा का जायजा लिया और फिर पैराशूट को हटाया।
इसके बाद स्पेस एक्स का रिकवरी बोट पहुंचा जो लैंडिंग साइड से दो मील की दूरी पर रुका हुआ था। जिस समय अंतरिक्ष यान की वापसी हो रही थी। आसमान पूरी तरह साफ और नीला था । इसके बाद रस्सियों के सहारे कैप्सूल को नाव में लाया गया। जब ड्रैगन कैप्सूल का साइड हैच खुला तब सारी दुनिया अंतरिक्ष यात्रियों की झलक पाने का इंतजार करने लगी। इसके बाद नासा की लाइव तस्वीरों के जरिए दुनिया भर के लोगे में सुनीता विलियम्स और उनके साथियों को बाहर निकलते देखा।
कैप्सूल से निकलने के ठीक पहले सुनीता विलियम्स और बुच बिल्मोर ने हवा में हाथ हिला कर खुशी जाहिर की।
अंतरिक्ष में करीब 286 दिन बीतने के बाद सुनीता और उनके साथियों ने धरती पर ताजा हवा में सांस ली । करीब 9 महीनों तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर रहते हुए दोनों यात्रियों ने हर दिन 16 बार सूर्योदय और सूर्यास्त देखा और अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इससे ताल मेल बैठाना उनके लिए कितन चुनौती पूर्ण रहा होगा।
अंतरिक्ष यात्रियों की सेहत कैसी है?
नासा के कमर्शियल क्रू प्रोग्राम के मैनेजर स्टीव स्निच ने बताया कि अंतरिक्ष यात्रियों की सेहत ठीक है।
उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष यात्री कुछ समय के लिए रिकवरी शिप पर रहेंगे और फिर उन्हें ह्यूस्टन ले जाया जाएगा।
उन्होंने अपनी टीम का शुक्रिया अदा किया और नासा की जरूरतों के मुताबिक खुद को ढालने के लिए अमेरिकी अरपति एलन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स की तारीफ़ की।
हालांकि अंतरिक्ष यात्रियों का मेडिकल चेकअप किया जा रहा है और जब ये प्रकिया पूरी हो जाएगी इसके बाद परिवार से मिलने की इजाजत मिलेगी।
नासा स्पेस ऑपरेशन मिशन डायरेक्टर डिप्टी एसोसिएट एडमिस्ट्रेटर जोएल मोंटालबानो ने कहा कि सुनी और बुच ने आईएसएस पर रहते हुए 900 घंटों तक रिसर्च किया और इस दौरान 150 वैज्ञानिक प्रयोग किए।
उन्होंने नासा अंतरिक्ष यात्रियों के किए गए प्रयोगों को देश लिए और उम्मीद जताई कि इस दशक के अंत तक मंगल ग्रह पर इंसान उतारने के नासा के
लक्ष्य में ये मददगार साबित होंगे।